वसुधैव कुटुंबकम
वेद वाक्य वसुधैव कुटुंबकम, अनुपम एक विचार है सारी धरती पर मानव, एक कुटुंब परिवार है
संयुक्त परिवार भारत में, परंपरा बड़ी अनूठी है
संयुक्त संघ शक्ति की, बंधी हुई एक मुट्ठी है
प्रेम प्रीत की डोर है यह, और खुशियों की चाबी है प्राचीन काल से भारत, संयुक्त परिवार का आराधी है आधुनिकता की चमक दमक में, परंपरा भी टूटी है व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा से, एकल परिवार की धारा फूटी है
एकल परिवार की समस्याओं से, अब मानव दो चार हुआ
फिर से बड़ा चलन संयुक्त का, रूप है थोड़ा अलग हुआ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी