वसंत पंचमी
आया वसंत ऋतु में वसंत पंचमी का त्यौहार,
सुबह- सँवरे शुरू हो गयीं विद्या देवी की पुकार
विद्यालय, घर ,चाहें हो कोई द्वार ॥
शुरू हो जाती माँ सरस्वती की पूजा-अर्चना की पुकार
कहीं यज्ञ, कहीं होता पीत फूलों से माँ का आदर-सत्कार॥
खिल जाती जो-गेहूँ की बालियाँ,
नाचने लग जाती रंग बिरंग़ी तितलियाँ
सजने लगती रंग़ोली से धरती माइयाँ॥
खेतों में चमकने लग जाता सरसों सा सोने का मेला
पहने सबने पीत वस्त्र ,करते माँ पर फूलों से बौछार॥
आया वसंत ऋतु में वसंत पंचमी का त्यौहार
सुबह- सँवरे शुरू हो गयी विद्या की देवी की पुकार
विद्यालय, घर ,चाहें हो कोई द्वार ॥
रचनाकार – 😇 डॉ० वैशाली ✍🏻