Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Apr 2022 · 2 min read

वसंत का संदेश

वसंत आया बोला हमसे,
न रहो तुम उदास।
समय चाहे जैसा हो पर,
एक न एक दिन गुजर जाता है।

दुख के बाद ही जीवन में,
सुख का अनुभव हो पाता है।
चाहे दुख कितना गहरा हो
एक न एक दिन छट जाता है।

अँधेरा चाहे कितना घना हो,
पर उजाला निश्चय ही उस
पर विजय पाता है।

तुम मुझसे सीखो, मैं कैसे,
पतझड़ से लड़कर आता हूँ।
और सुखी डाली पर कैसे,
मैं हरियाली बनकर छा जाता हूँ।

इसलिए तो मैं सबके,
मन को बहुत भाता हूँ।
इसलिए तो मैं वसंत,
ऋतुराज कहलाता हूँ।

जब तक तुम कष्ट न झेलोगें,
तब तक सफलता तेरी कदम न चूमेगी ।
मुझको तुम देखो कैसे,
मैं ठंड से लड़कर आता हूँ ।

कैसे सुखी डाली पर मै
तरह- तरह के फूल खिलाता हूँ।
मैं कहाँ कभी पतझड़ से,
हार मानकर थक जाता हूँ।

तुम भी अपने जीवन में ,
ऐसे ही हार न मानों।
संघर्ष करो अपने जीवन में
और सफलता जानो।

मुझसे सीखो कैसे जीवन में
संघर्ष कर आगे बढा जाता है।
कैसे सुखी डाली पर भी
फूल खिलाया जाता है।

उसकी मन भावन खुशबू से
कैसे इस जग को महकाया जाता है।
और जीत की खुशियो में
कैसे खुद को लहराया जाता है।

तितलियों और चिड़ियो को भी
तो मैं बहुत भाता हूँ ।
मधुमक्खी भी मेरे आने पर
खुश हो जाती है।

मेरे फूलों को देखकर ,
वो भी मदहोश हो जाती है।
और फूल – फूल पर बैठकर,
मुझको धन्यवाद जताती है।

मैं अपने साथ कई सुर और
झनकार भी लेकर आता हूँ।
कोयल भी तो अपना स्वर
मेरे साथ ही गाती है।

तुम भी अगर अपने जीवन ,
सफलता के फूल खिलाना चाहते हो।
अगर जीवन मे तुम भी सुख के
खुशबू महकाना चाहते हो।

तो तुमको भी जीवन में अपने,
संघर्ष करना पड़ेगा।
और सफलता के लिए ,
तुम को भी लड़ना पड़ेगा।

~ अनामिका

Language: Hindi
3 Likes · 411 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
खुशियां
खुशियां
N manglam
खुश होगा आंधकार भी एक दिन,
खुश होगा आंधकार भी एक दिन,
goutam shaw
तकते थे हम चांद सितारे
तकते थे हम चांद सितारे
Suryakant Dwivedi
कभी वाकमाल चीज था, अभी नाचीज हूँ
कभी वाकमाल चीज था, अभी नाचीज हूँ
सिद्धार्थ गोरखपुरी
द्वितीय ब्रह्मचारिणी
द्वितीय ब्रह्मचारिणी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
बाप के ब्रह्मभोज की पूड़ी
बाप के ब्रह्मभोज की पूड़ी
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
मुक्तक।
मुक्तक।
Pankaj sharma Tarun
बहती नदी का करिश्मा देखो,
बहती नदी का करिश्मा देखो,
Buddha Prakash
▫️ मेरी मोहब्बत ▫️
▫️ मेरी मोहब्बत ▫️
Nanki Patre
जन कल्याण कारिणी
जन कल्याण कारिणी
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
#परिहास
#परिहास
*Author प्रणय प्रभात*
तेरा हासिल
तेरा हासिल
Dr fauzia Naseem shad
जब  सारे  दरवाजे  बंद  हो  जाते  है....
जब सारे दरवाजे बंद हो जाते है....
shabina. Naaz
हौसला बुलंद और इरादे मजबूत रखिए,
हौसला बुलंद और इरादे मजबूत रखिए,
Yogendra Chaturwedi
जिंदगी का सफर
जिंदगी का सफर
Dr. Pradeep Kumar Sharma
23/155.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/155.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मै तो हूं मद मस्त मौला
मै तो हूं मद मस्त मौला
नेताम आर सी
"नए सवेरे की खुशी" (The Joy of a New Morning)
Sidhartha Mishra
पूछ रही हूं
पूछ रही हूं
Srishty Bansal
एक ठंडी हवा का झोंका है बेटी: राकेश देवडे़ बिरसावादी
एक ठंडी हवा का झोंका है बेटी: राकेश देवडे़ बिरसावादी
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
"देश के इतिहास में"
Dr. Kishan tandon kranti
दोहा पंचक. . . नैन
दोहा पंचक. . . नैन
sushil sarna
इंसान अच्छा है या बुरा यह समाज के चार लोग नहीं बल्कि उसका सम
इंसान अच्छा है या बुरा यह समाज के चार लोग नहीं बल्कि उसका सम
Gouri tiwari
माँ
माँ
Shyam Sundar Subramanian
अरे मुंतशिर ! तेरा वजूद तो है ,
अरे मुंतशिर ! तेरा वजूद तो है ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
पहाड़ों की हंसी ठिठोली
पहाड़ों की हंसी ठिठोली
Shankar N aanjna
*ऐनक (बाल कविता)*
*ऐनक (बाल कविता)*
Ravi Prakash
When you learn to view life
When you learn to view life
पूर्वार्थ
जय मां शारदे
जय मां शारदे
Mukesh Kumar Sonkar
हत्या-अभ्यस्त अपराधी सा मुख मेरा / MUSAFIR BAITHA
हत्या-अभ्यस्त अपराधी सा मुख मेरा / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
Loading...