वसंत आया देहरी पर
वसंत आया देहरी पर
सर्दी में झुलसी, दुबकी
ठंडी में अलसाई, उलझी
कुदरत संग मानवता अब आनंदित
देख वसंत आया देहरी पर।
उद्यानों में ओढ़े हरियाली
पीपल को पहनाए हरित पात नव
रंग-बिरंगे पुहुप-गंध संग
देख, वसंत आया देहरी पर।
डोले चंचल अति मुदित भाव
फल-पुष्पों के अनगिन विविध वृक्ष
नव पल्लव कंपित, आंदोलित
देख वसंत आया देहरी पर।
संग वसंत के कदम-दर-कदम
आई हैं खुशियां खुद चलकर
बाल-वृद्ध, नर-नारी प्रसन्न
देख बसंत आया देहरी पर।
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-राजेंद्र प्र गुप्ता, मौलिक/ स्वरचित/अप्रकाशित।