Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Jul 2023 · 1 min read

वर्ष तिरासी से अब तक जो बीते चार दशक

वर्ष तिरासी से अब तक जो बीते चार दशक
सभी दुखों से जीवन-पथ पर रीते चार दशक
साथ पढ़ी हमने-तुमने प्रिय रामायण मिलकर
बीते राम-नाम का अमृत पीते चार दशक

Language: Hindi
68 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
ख़ास तो बहुत थे हम भी उसके लिए...
ख़ास तो बहुत थे हम भी उसके लिए...
Dr Manju Saini
फ़ितरत
फ़ितरत
Kavita Chouhan
"रंग और पतंग"
Dr. Kishan tandon kranti
Ye sham adhuri lagti hai
Ye sham adhuri lagti hai
Sakshi Tripathi
*लय में होता है निहित ,जीवन का सब सार (कुंडलिया)*
*लय में होता है निहित ,जीवन का सब सार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
तू  फितरत ए  शैतां से कुछ जुदा तो नहीं है
तू फितरत ए शैतां से कुछ जुदा तो नहीं है
Dr Tabassum Jahan
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
3323.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3323.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
समूह
समूह
Neeraj Agarwal
मैं  गुल  बना  गुलशन  बना  गुलफाम   बना
मैं गुल बना गुलशन बना गुलफाम बना
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
अंधा बांटे रेबड़ी, फिर फिर अपनों के देवे – कहावत/ DR. MUSAFIR BAITHA
अंधा बांटे रेबड़ी, फिर फिर अपनों के देवे – कहावत/ DR. MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
संघर्ष की राहों पर जो चलता है,
संघर्ष की राहों पर जो चलता है,
Neelam Sharma
सांवले मोहन को मेरे वो मोहन, देख लें ना इक दफ़ा
सांवले मोहन को मेरे वो मोहन, देख लें ना इक दफ़ा
The_dk_poetry
*राम मेरे तुम बन आओ*
*राम मेरे तुम बन आओ*
Poonam Matia
जैसी नीयत, वैसी बरकत! ये सिर्फ एक लोकोक्ति ही नहीं है, ब्रह्
जैसी नीयत, वैसी बरकत! ये सिर्फ एक लोकोक्ति ही नहीं है, ब्रह्
विमला महरिया मौज
हुनरमंद लोग तिरस्कृत क्यों
हुनरमंद लोग तिरस्कृत क्यों
Mahender Singh
*यह दौर गजब का है*
*यह दौर गजब का है*
Harminder Kaur
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*शिकायतें तो बहुत सी है इस जिंदगी से ,परंतु चुप चाप मौन रहकर
*शिकायतें तो बहुत सी है इस जिंदगी से ,परंतु चुप चाप मौन रहकर
Shashi kala vyas
बेटी-पिता का रिश्ता
बेटी-पिता का रिश्ता
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
प्रथम नमन मात पिता ने, गौरी सुत गजानन काव्य में बैगा पधारजो
प्रथम नमन मात पिता ने, गौरी सुत गजानन काव्य में बैगा पधारजो
Anil chobisa
कितना मुश्किल है केवल जीना ही ..
कितना मुश्किल है केवल जीना ही ..
Vivek Mishra
अपनी नज़र में
अपनी नज़र में
Dr fauzia Naseem shad
प्रहरी नित जागता है
प्रहरी नित जागता है
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
अपना कोई वजूद हो, तो बताना मेरे दोस्त।
अपना कोई वजूद हो, तो बताना मेरे दोस्त।
Sanjay ' शून्य'
हवन
हवन
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
किसी के साथ की गयी नेकी कभी रायगां नहीं जाती
किसी के साथ की गयी नेकी कभी रायगां नहीं जाती
shabina. Naaz
Lines of day
Lines of day
Sampada
....नया मोड़
....नया मोड़
Naushaba Suriya
संविधान ग्रंथ नहीं मां भारती की एक आत्मा🇮🇳
संविधान ग्रंथ नहीं मां भारती की एक आत्मा🇮🇳
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Loading...