वर्षा ऋतु
जब गर्मी से सब रहते परेशान,
और उनकी सब कोशिशें हो जाती फेल।
तब वर्षा कि ठंडी बुंदें आती,
शुरू हो जाती राहत का कुदरती खेल ।
यहाँ मानसून की हवाएं वर्षा लाती,
जिसके लिए है महीने चार।
शुरुआती दिनों जोरों से हवाएं चलती,
बादल गरजते, बिजली भी चमकती बार-बार।
खेत-खलिहान सब पानी से भर जाते,
हरियाली छा जाती चहूंओर।
बरसाती नदियाँ इठलाती बलखाती,
खेतों में किसान नाचते, जंगल में मोर।
खेती भारत की अर्थव्यवस्था का आधार है
और वर्षा है सिंचाई की सबसे बड़ी शाख।
इस ऋतु के बारे कवि ने सच कहा है,
साल के चार मास हट गए तो बचेगी सिर्फ राख।।
— रबिन्द्र नाथ सिंह मुण्डा
कोरबा, छत्तीसगढ़