वफ़ाओं की खुशबू मुझ तक यूं पहुंच जाती है,
वफ़ाओं की खुशबू मुझ तक यूं पहुंच जाती है,
बस ये हवाएं भी मुझे छूकर गुजर जाती है
बहुत सताती हैं तेरी याद भी इन दिनों मुझे,
चांद निकलता है चांदनी को पास बुलाती है
©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”
वफ़ाओं की खुशबू मुझ तक यूं पहुंच जाती है,
बस ये हवाएं भी मुझे छूकर गुजर जाती है
बहुत सताती हैं तेरी याद भी इन दिनों मुझे,
चांद निकलता है चांदनी को पास बुलाती है
©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”