वन्दे मातरम
गूँजे कण कण भारत भू का वन्दे मातरम
महक उठे वन उपवन मिलके वन्देमातरम
शस्य श्यामला भू हरियाली
परम्परा समृद्धिशाली
राष्ट्र प्रेम की गाथा गाते
हर मधुवन की हरेक डाली
लगी बोलने कोयल काली वन्देमातरम
तीन रंगों से रँगी चुंदरिया
खलिहानों में फसल दुल्हनियां
सीमा पर चौकस है सिपाही
बने हिमालय जिनका हमराही
कल कल नदियाँ गीत सुनाती
वहे पवन संगीत सुनाती वन्देमातरम
दर्शन जिसका ज्ञान प्रणेता
ईश्वर के गुण जो नित गाता
विश्व गुरु बन सत्य बताता
सत्य प्रेम का मार्ग दिखाता
अध्यात्म यहाँ की है आत्मा
गुरु वाणी हर शब्द ये गाता वन्देमातरम
गणतंत्र दिवस के बसंत बीत गये
पिछड़े से विकसित भी हो गए
ईश कृपा से शान्ति दूत हम
साहस शक्ति का प्रतीक हो गए
बोले दुंदभी जन गण मन यही
उदघोष गूंज खड़ताल वन्देमातरम