वन्दे मातरम्
आस वन्दे मातरम् हर श्वाँस वन्दे मातरम्
करता हृदय के कम्पनों में वास वन्दे मातरम्
एहसास वन्दे मातरम्, विश्वास वन्दे मातरम्
बोलता है क्रान्ति का इतिहास वन्दे मातरम्
शत्रुओं के दर्प का है ह्रास वन्दे मातरम्
पंक्षियों के पंख की परवाज वन्दे मातरम्
है हवाओं में घुली आवाज वन्दे मातरम्
हर गीत के लय में पुकारे साज वन्दे मातरम्
कल को पकड़कर कह रहा है आज वन्दे मातरम्
हम भारतीयों को है तुझ पर नाज वन्दे मातरम्
कह रही है हर कली हर फूल वन्दे मातरम्
गा रहे धुन पर सभी स्कूल वन्दे मातरम्
बोलता शिव जी का है त्रिशूल वन्दे मातरम्
है हमारी संस्कृति का मूल वन्दे मातरम्
भूल जा सब कुछ मगर मत भूल वन्दे मातरम्
पहचान वन्दे मातरम् है जान वन्दे मातरम्
वो बोलता है जिसमें है ईमान वन्दे मातरम्
कह गए पुरखे कि है अभिमान वन्दे मातरम्
बाजू फड़क उठते सुनें जब कान वन्दे मातरम्
शत्रु के सीने पे बोले जवान वन्दे मातरम्
रहमान वन्दे मातरम् है राम वन्दे मातरम्
घंटियाँ कहती है चारो धाम वन्दे मातरम्
गुजरात वन्दे मातरम् आसाम वन्दे मातरम्
बोलती किरणें सुबह, हर शाम वन्दे मातरम्
है शहीदों ने दिया पैगाम वन्दे मातरम्
देखो फकीरों की फटी झोली में वन्दे मातरम्
मासूम से बच्चे की हर बोली में वन्दे मातरम्
कुमकुम में वन्दे मातरम् रोली में वन्दे मातरम्
ईद में, दीवाली में, होली में वन्दे मातरम्
बोली शेखर की वो अंतिम गोली वन्दे मातरम्
काबा में वन्दे मातरम् काशी में वन्दे मातरम्
गूँजता रानी के संग झाँसी में वन्दे मातरम्
देश की हर भाषा में, भाषी में वन्दे मातरम्
ज्योतिषी की बारहों राशी में वन्दे मातरम्
गर्दन पड़ी जो भगत की फाँसी में वन्दे मातरम्
कह रहा है पुष्प का मकरन्द वन्दे मातरम्
ले रहा अविरत भ्रमर आनन्द वन्दे मातरम्
बोलता कवि से सुसज्जित छन्द वन्दे मातरम्
धर्म के रथ पर हुआ जब द्वन्द वन्दे मातरम्
शून्य से बोले विवेकानन्द वन्दे मातरम्
कृष्ण के सुन्दर नयन आनन में वन्दे मातरम्
नीर, मरुथल, गिरि वृहद, कानन में वन्दे मातरम्
है द्वार वन्दे मातरम् आँगन में वन्दे मातरम्
बूँद वर्षा से कहे सावन में वन्दे मातरम्
गोपियाँ गाती हैं वृन्दावन में वन्दे मातरम्
बाहर है वन्दे मातरम् भीतर है वन्दे मातरम्
धरती है वन्दे मातरम् अम्बर है वन्दे मातरम्
नदियाँ हैं वन्दे मातरम् सागर है वन्दे मातरम्
शब्द ‘संजय’ के छुपा अक्षर है वन्दे मातरम्
भारत के कण-कण में बसा घर-घर है वन्दे मातरम्