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18 Sep 2020 · 1 min read

वदन

शब्दों के बाण,साध के तान
जो छूट गए, न लौट पाएंगे
तीर कब लौटी कमान
बोल बिछाते निज बिसात
कटु मृदु वदन की चाल
संभलकर करना चयन
खा जाओगे वरना मात
जब बोलो मीठा बोलो
शब्दों को मिश्री में घोलो
कला ये अद्भुत अनूठी
कभी सच्ची कभी झूठी
सत्य वदन का हो स्वर
झूठ का न हो स्वर मुखर
अहंकार की न हो टंकार
वाणी में वीणा सी झंकार
जिह्वा पर गर हो नियंत्रण
सुख शांति जीवन आमंत्रण
सुस्मित वदन ,मधुर कथन
सार्थक वसुधैव कुटुम्बकम

रेखा
१८.९.२०

Language: Hindi
2 Comments · 307 Views

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