वक्त
वक्त को थामने की कोशिश करता हूं ,
पर हर बार मेरे हाथ से फिसल जाता है ,
वक्त का पहिया आगे बढ़ता जाता है ,
कभी लौट कर वापस नहीं आता है ,
वक्त के हमराह ग़र ना चल पाऊँ ,
वक्त मुझको ठुकरा कर गुज़र जाता है ,
वक्त की अहमियत अब समझने लगा हूं ,
जो वक्त की क़द्र कर कोशिश करता है ,
वो ही कामयाबी हासिल करता है ,
जो वक्त को नज़रअंदाज़ करता है ,
उसे पछतावे के सिवा कुछ नहीं मिलता है ,