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6 Jul 2021 · 1 min read

वक्त वक्त की बात…

वक्त-वक्त की बात ….

कल वक्त हम पर अनुरक्त हुआ।
पल आज वो गुजरा वक्त हुआ।

आज वो हमसे दूर बहुत है,
दिल जिसपे कभी आसक्त हुआ।

है वक्त-वक्त की बात, कहें क्या !
कभी नरम कभी तो सख्त हुआ।

दम से जिसके हसीं थी दुनिया,
वही हमसे आज विरक्त हुआ।

जब-जब भी उससे नज़र मिली,
मुखड़ा लजाया, आरक्त हुआ।

उफनता सागर जज़्बातों का,
शब्दों में कहाँ अभिव्यक्त हुआ !

साथ छोड़ चले जब अपने ही,
भारी पलड़ा भी अशक्त हुआ।

शीशा ए दिल का हाल न पूछो,
टुकड़ों में कितने विभक्त हुआ !

सुकून क्या आए मन को उसके,
जो अपनों से परित्यक्त हुआ।

तिकड़में चल निकलीं जिसकी,
वही सब पर हावी सशक्त हुआ।

हुई मेहरबां किस्मत जिस पर,
जमाना भी उसी का भक्त हुआ।

जा मिली लो असीम से ‘सीमा’,
अंश अंशी से संपृक्त हुआ।

– सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद

2 Likes · 2 Comments · 303 Views
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