मुझे भी लगा था कभी, मर्ज ऐ इश्क़,
मिलेंगे इक रोज तसल्ली से हम दोनों
मेरा होना इस कदर नाकाफ़ी था
बह्र .... 122 122 122 122
संवरना हमें भी आता है मगर,
मेरे दिल की हर इक वो खुशी बन गई
कोई नी....!
singh kunwar sarvendra vikram
समस्त देशवाशियो को बाबा गुरु घासीदास जी की जन्म जयंती की हार
चंद्र मौली भाल हो
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
।। श्री सत्यनारायण कथा द्वितीय अध्याय।।
साहित्यकार गजेन्द्र ठाकुर: व्यक्तित्व आ कृतित्व।
मौन देह से सूक्ष्म का, जब होता निर्वाण ।
किसी ने कहा- आरे वहां क्या बात है! लड़की हो तो ऐसी, दिल जीत
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में रमेशराज के 4 प्रणय गीत
*यह भगत सिंह का साहस था, बहरे कानों को सुनवाया (राधेश्यामी छ