“वक्त के पाँव में”
“वक्त के पाँव में”
वक्त के पाँव में न घुंघरू होते हैं और न हाथ में डमरू। उसकी अपनी चाल है, जो न तो कभी रुकती है और न ही धीमी या तेज होती है।
(चुटकी भर सिन्दूर-कहानी संग्रह से…)
“वक्त के पाँव में”
वक्त के पाँव में न घुंघरू होते हैं और न हाथ में डमरू। उसकी अपनी चाल है, जो न तो कभी रुकती है और न ही धीमी या तेज होती है।
(चुटकी भर सिन्दूर-कहानी संग्रह से…)