वक्त के दोनों निंशा
वक्त का काम है चलना
ये कब ठहर पाता है
वक्त अच्छा हो या बुरा, गुजर जाता है
अपना एहसास भी कराता है
कभी सुख है कभी दुख है
सभी तो रीत जाता है
जीवन बीत जाता है
वक्त लिख देता है दिलों पर
अमिट कुछ ऐसे निशा
ताउम्र आदमी को
याद रहते हैं
वक्त के दोनों निंशा