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14 Mar 2019 · 1 min read

वक्त और करवट

वक्त है
बड़ा बलवान
कब किस
करवट बैठता है
कोई नही जानता
लेता है जब
ये करवट
बना देता है
राजा को रंक

रात
जब लेती है
करवट
उम्मीदों की
रोशनी फैलती है
चहुंओर

उम्र की करवट
रुबरू करा
देती है
जिंदगी की
पहेलियों से
कभी धूप तो
कहीं छाह

नज़ाकत समझो
ऐ इन्सान
वक्त की
लेता है करवट
जब ये
पहुँच जाता है
इन्सान
श्मशान तक

स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव
भोपाल

Language: Hindi
1 Like · 346 Views
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