वक्त एक हकीकत
वक्त एक हकीकत
ना हुआ है ये किसी का, ना ही किसी का होगा।
बेदर्द वक्त है ये , ना तेरा है ना मेरा होगा।।
देता है गम अगर ये, खुशियां भी हजार देता।
फितरत है दरिया जैसी, चलना तो इसको होगा।।
ना हुआ है ये किसी का, ना किसी का होगा।
तिलिस्म वक्त का तू, बस देख दूर से ही।।
ना गम में उदास होगा, खुशियों में ना हंसेगा।
ना हुआ है ये किसी का, ना किसी का होगा।।
होता कहा मुकद्दर, तेरी आरजू मुताबिक।
बनेगा स्वर्ण जैसा, तपना तुझे पड़ेगा।।
ना हुआ है ये किसी का, ना किसी का होगा।
उमेश मेहरा
गाडरवारा ( एम पी)
9479611151