***वक़्त****
*वक़्त को नजर,
अंदाज कर।
*ठोकरें खा रहा दर-दर,
हिमायती नहीं अब कोई।
*जो सही हुसूल बताएं,
कर पे कर धरे,
मैं आंसू बहा रहा।
रूह रो रही,
*वक़्त को नजर,
अंदाज कर।
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नारायण अहिरवार
अंशु कवि
सेमरी हरचंद जिला होशंगाबाद
* मध्यप्रदेश*