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19 Jan 2021 · 1 min read

लौट जाओ तुम

***** लौट जाओ तुम ******
***********************
काफिया-आ, रदीफ़-कुछ नहीं
***********************

लौट जाओ तुम,रहा कुछ नहीं
लूट ली बस्ती बचा कुछ नहीं

मौसमी तूफान आया जहाँ
अस्त व्यस्त है,खड़ा कुछ नहीं

राम की लीला नहीं जानता
मार पड़ती है, पता कुछ नहीं

दूर होता तम सदा लौ से ही
रोशनी ना हो, मिटा कुछ नहीं

बाल की जड़ मत उखाड़ा करो
देखिए मिलता जरा कुछ नहीं

रोज रोने का भला क्या हुआ
हँसते रहने से,बड़ा कुछ नहीं

कौन मनसीरत से होके खफा
मीत मन का माँगता कुछ नहीं
***********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
240 Views
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