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25 Jan 2023 · 1 min read

बरसात और तुम

मिलन की ऋतु जब बरसात के साथ आती है,
आँखें पावस की दिशा में अपलक देखती रेहती हैं।

बरसात की हवा के स्पर्श में,
त्वचा तेरी मख़मली हाँथों को ढूंढ़ती रेहती है।

सौंधी मिट्टी और तेरी खुशबू से बने इत्र की याद में,
मेरी नासिकाएं मचलती रेहती हैं।

घनी घटाओं की धीमी सी गड़गड़ाहट में,
तेरी खनकती हुई सी हंसी सुनाई देती रेहती है।

मैं बंज़र ज़मीन बन जाता हूँ तेरी याद में,
और तू आकर मेरी अभिलाषाओं पे बरसती रेहती है।

– सिद्धांत शर्मा

Language: Hindi
156 Views
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