लौट जाएँगे
मोहब्बत का दिया दिल में जगाकर लौट जाएँगे
ये अपना बोरिया-बिस्तर उठाकर लौट जाएँगे
यहाँ पर कौन आया है हमेशा साथ रहने को
तुम्हारे साथ बस दो पल बिताकर लौट जाएँगे
बने बलवान बैठे हैं यहाँ धनवान जितने भी
वो दौलत साँस की इक दिन लुटाकर लौट जाएँगे
गए जब ऊब दुनिया से तो बोली ज़िंदगी हँसकर
किसी का कर्ज बाकी है चुकाकर लौट जाएँगे
जुबानों के लिए लड़ना यकीनन छूट जाएगा
यूँ हिन्दी और उर्दू को मिलाकर लौट जाएँगे
चले आए हैं कितनी दूर लेकर सरहदों को हम
मगर जायेंगे तो हर हद मिटाकर लौट जाएँगे
ये माना के बहुत टूटे हुए अंदर से हम लेकिन
तुम्हारे दिल में अपना घर बनाकर लौट जाएँगे
के हँसकर वास्ते जिनके ये हमने जिंदगी दे दी
वही शमशान में हमको जलाकर लौट जाएँगे
अभी कुछ देर तो बैठो हमारे साथ महफिल में
अजी दो चार कविताएँ सुनाकर लौट जाएँगे
मुहब्बत के जुगनुओं से जरा बचकर रहो ‘संजय’
अँधेरी रात में ये जगमगा कर लौट जाएँगे