लौट कर आने की अब होगी बात नहीं।
लौट कर आने की अब होगी बात नहीं,
तेरे शहर से अब मेरी, होगी मुलाक़ात नहीं।
ख़्वाहिशें दिल के किसी कोने में साँसें तो लेंगी,
पर उन्हें पूरा करने के, अब आएंगे ख्यालात नहीं।
साहिलों पर चलते क़दमों के वो निशान तो होंगे,
पर हकीकत जो साथ चल सके, होंगे अब ऐसे हालात नहीं।
स्याह अँधेरे, धुंध की चादर लिए अब भी सिरहाने बैठेंगे,
पर जो भोर की ओस में नहाये, ऐसी आएगी रात नहीं।
दिलकश वो आसमां, बनकर छत सा निहारेगा मुझे,
पर जमीं पर जिसे घर कह पाऊं, बिखरेंगे अब वो जज़्बात नहीं।
रेगिस्तान की मृगतृष्णा, सच बनकर मिलगी मुझसे,
पर जो बादल सुकून का सबब बने, अब होगी वो बरसात नहीं।
चमचमाते सितारों की रौशनी में नहायेगा क्षितिज सारा,
पर जहां टूटकर वो दुआएं बन जाये, दिखेगी वो कायनात नहीं।
सूखे पत्तों के ग़लीचे तो, पतझड़ में बिछते रहेंगे,
पर अश्क गिरते फूलों के कोई पोछे, होगी ऐसी करामात नहीं।
सफर की उड़ानों से सराबोर होती रहेगी ये ज़िंदगी,
पर जो एहसासों का आसमां दिखाए, मिलेगी वो सौगात नहीं।
शब्द मेरे मुझको छल जाये, और खामोशी तुझतक पहुंचाए,
कल्पनों से रचे इस भ्रम की, होगी अब शुरुआत नहीं।
लौट कर आने की अब होगी बात नहीं,
तेरे शहर से अब मेरी, होगी मुलाक़ात नहीं।