लौटते लोग
चले छोड़कर ये शहर अब सभी गाँव के लिए।
विवशता में आये सभी इस घड़ी ठाँव के लिए।
कठिन मार्ग पर धूप में चलने जैसे थी जिंदगी-
सभी दौड़कर आये शीतल-मधुर छाँव के लिए।
चले छोड़कर ये शहर अब सभी गाँव के लिए।
विवशता में आये सभी इस घड़ी ठाँव के लिए।
कठिन मार्ग पर धूप में चलने जैसे थी जिंदगी-
सभी दौड़कर आये शीतल-मधुर छाँव के लिए।