लोहा अपनी योग्यता का सबको मनवा दीजिये
लोहा अपनी योग्यता का सबको मनवा दीजिये
स्थान पर माँ बाप को ही सबसे ऊँचा दीजिये
है हमारा वादा तुमसे हम भुला देंगे तुम्हें
पहले अपनी यादें भी इस दिल से मिटवा दीजिये
शूल नफरत के बिछे हैं कुछ यहाँ तो क्या हुआ
प्यार के फूलों से ये संसार महका दीजिये
जानते सब प्यार से ही चल रहा संसार है
प्यार में फिर दर्द क्यों है इतना बतला दीजिये
पढ़ रहे है आज तक इसको मगर समझे नहीं
ज़िन्दगी की ये पहेली कुछ तो सुलझा दीजिये
लिख दिया है दिल पे अपने नाम ही बस आपका
हों अलग मर भी न अब हम साथ इतना दीजिये
होती है सबसे बड़ी ही ये बुढ़ापे की दवा
प्यार के दो बोल का उनको सहारा दीजिये
‘अर्चना’ ईमान ही इंसानियत का नाम है
दोस्त क्या दुश्मन ,किसी को भी न धोखा दीजिये
06-12-2017
डॉ अर्चना गुप्ता