~~~~लोभी धन के ~~~~
बन गया अगर धनवान
तो बन गया तेरा मकान
कोठी, बँगला और दूकान
सोच तो तेरी अब तक
न बदली और करने लगा
उस धन से अनगिनत
बुरे बुरे काम
घमंड में हो रहा है
तू चकनाचूर
दिखावे को करना नमन
और कहता बस मेरा भगवान्
इंसानों की करता है
भर पेट कर दुर्गति
और दिखा रहा है
जमाने को मैं बड़ा महान
कितना धन जोड़ ले
नही आएगा तेरे काम
जानता है कफ़न में
जब नहीं होती
फिर क्यूं करता रहता
नित निराले काम ..
अजीत कुमार तलवार
मेरठ