लोतंत्र
शर्म ,असमत और अस्मिता का व्यापार लोकतंत्र में जारी है। पहले सब छुपकर बिकता था अब ये तंत्र ही कारोबारी है।
हिजड़े सम्मानित करते हैं वीरों और शहीदों को।
अपनो को कर अपमानित, देते सम्मान रकीबों को।
शर्म ,असमत और अस्मिता का व्यापार लोकतंत्र में जारी है। पहले सब छुपकर बिकता था अब ये तंत्र ही कारोबारी है।
हिजड़े सम्मानित करते हैं वीरों और शहीदों को।
अपनो को कर अपमानित, देते सम्मान रकीबों को।