लोग समझदार हो गए,
मेरे घर के सभी लोग समझदार हो गए,
मुझे छोड़ बाकि सब मुलजमात हो गए !
मैं ही शामिल हूँ नकारो की फेहरिश्त में,
वरना सब मेहनतकश जिम्मेदार हो गए !
जिनके लिए कदम पीछे हटा लिए हमने,
पीछे धकेल हमे वो अग्रिम कतार हो गए !
हम पढ़-लिखकर भी अनपढ़ गंवार ही रहे,
वो टूटी फूटी भाषा से साहित्यकार हो गए !
तनिक दो पैसा का क्या हाथ लगा जिनके,
आगे पीछे सगे सम्बन्धी रिश्तेदार हो गए !
मेहनत भी अपनी तो कोई रंग न दिखा सकी,
जो थे किस्मत के धनी सब मालामाल हो गए !
शेर भी तरस रहे है शिकार को जंगल में,
वक्त के चलते गधे भी पहलवान हो गए !
किसने, किसे, कैसे, कब, कहाँ से क्या लूटा
कौन याद रखे, आज सब रसूखदार हो गए !
अब किस बात का रोना रोता है “धरम” यहां,
झूठ के इस बाजार में सच्चे लाचार हो गए !!
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डी के निवातिया