Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jun 2024 · 1 min read

लोकतन्त्र के मंदिर की तामीर बदल दी हमने।

लोकतन्त्र के मंदिर की तामीर बदल दी हमने।
भारत के तरकस के सारे तीर बदल दी हमने।।
दमन और शोषण करने को जो कानून बने थे।
अंग्रेजों की लिखी हुई तहरीर बदल दी हमने।।
“कश्यप”

2 Likes · 12 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"मां के यादों की लहर"
Krishna Manshi
स्मृति : पंडित प्रकाश चंद्र जी
स्मृति : पंडित प्रकाश चंद्र जी
Ravi Prakash
दस लक्षण पर्व
दस लक्षण पर्व
Seema gupta,Alwar
श्रम दिवस
श्रम दिवस
SATPAL CHAUHAN
दो पाटन की चक्की
दो पाटन की चक्की
Harminder Kaur
कुछ तो पोशीदा दिल का हाल रहे
कुछ तो पोशीदा दिल का हाल रहे
Shweta Soni
"पहली नजर"
Dr. Kishan tandon kranti
दोहा -
दोहा -
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
जिसके हर खेल निराले हैं
जिसके हर खेल निराले हैं
Monika Arora
भोग कामना - अंतहीन एषणा
भोग कामना - अंतहीन एषणा
Atul "Krishn"
■ चुनावी साल, संक्रमण काल।
■ चुनावी साल, संक्रमण काल।
*प्रणय प्रभात*
भस्मासुर
भस्मासुर
आनन्द मिश्र
ओमप्रकाश वाल्मीकि : व्यक्तित्व एवं कृतित्व
ओमप्रकाश वाल्मीकि : व्यक्तित्व एवं कृतित्व
Dr. Narendra Valmiki
बिन बोले सब बयान हो जाता है
बिन बोले सब बयान हो जाता है
रुचि शर्मा
"मुगालता बड़ा उसने पाला है"
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
*कुछ कहा न जाए*
*कुछ कहा न जाए*
Shashi kala vyas
वर्तमान परिस्थिति - एक चिंतन
वर्तमान परिस्थिति - एक चिंतन
Shyam Sundar Subramanian
छूटा उसका हाथ
छूटा उसका हाथ
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
शक्तिशाली
शक्तिशाली
Raju Gajbhiye
"कुछ तो गुना गुना रही हो"
Lohit Tamta
बेहिचक बिना नजरे झुकाए वही बात कर सकता है जो निर्दोष है अक्स
बेहिचक बिना नजरे झुकाए वही बात कर सकता है जो निर्दोष है अक्स
Rj Anand Prajapati
*** लहरों के संग....! ***
*** लहरों के संग....! ***
VEDANTA PATEL
Avinash
Avinash
Vipin Singh
"प्यासा" "के गजल"
Vijay kumar Pandey
बिखर गई INDIA की टीम बारी बारी ,
बिखर गई INDIA की टीम बारी बारी ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
पुलिस की चाल
पुलिस की चाल
नेताम आर सी
आँखों का कोना,
आँखों का कोना,
goutam shaw
गांव
गांव
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
सिद्धत थी कि ,
सिद्धत थी कि ,
ज्योति
फितरत कभी नहीं बदलती
फितरत कभी नहीं बदलती
Madhavi Srivastava
Loading...