लोकडाउन में मजदूरों के हाल पर दोहे
मीलों की ये दूरियाँ, करते पैदल पार
ये गरीब मजदूर भी, कितने हैं लाचार
ऊँची बड़ी इमारतें, जो गढ़ते मजदूर
वे ही बेघर हो गये,हैं कितने मजबूर
बच्चा ट्रॉली पर लदा, बना हुआ भी बैल
कैसे कैसे दृश्य से, भरा हुआ है गैल
आती ही है आपदा, लेकर कष्ट अपार
वक़्त बीत ये जाएगा, थोड़ा धीरज धार
18-05-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद