लॉक डॉउन के दरम्यान करे माइन्डफुलनेस का अभ्यास
लॉक डॉउन के दरम्यान करे माइन्डफुलनेस का अभ्यास
बैचेन से चैन की ओर…
भगवद गीता में जब अर्जुन में श्री कृष्ण को पूछा कि मन को कैसे काबू रखा जाय? उस समय श्री कृष्ण ने अभ्यास अभ्यास और अभ्यास का सूत्र दिया ।
आम जिन्दगी में देखा गया है कि लोग काम या बातें याद नहीं रहने की शिकायत करते हैं। कुछ लोग हर समय मानसिक रूप से थकान भी महसूस करते हैं। दरअसल दिमाग और मन शरीर के उन हिस्सों में शामिल है जो कभी आराम नहीं करता। सोते-जागते, हर समय दिमाग में कुछ न कुछ चलता ही रहता है। ऎसे में “माइंडफुलनेस मेडिटेशन” ध्यान का वह तरीका है जिससे व्यक्ति अपने दिमाग को न केवल अधिक रचनात्मक एवं विचारों को स्पष्ट बना सकता है बल्कि बेचैन रहने वाले मस्तिष्क को भी आराम दे सकता है। कई वर्ष प्राचीन योग पाठशालाओं से निकली यह विधि मानव-मस्तिष्क की क्षमताओं को कई गुना बढ़ाने के लिए इस्तेमाल की जाती है।
दिमागी क्षमता बढ़ती है
अमरीकी पत्रिका “साइंटिफिक अमरीकन” में प्रकाशित न्यूरोसाइंस संबंधी एक ताजा शोध में उल्लेख किया गया है कि ध्यान (मेडिटेशन) की तकनीक से शरीर और दिमाग दोनों पर अच्छा प्रभाव में सहायता करती है। इससे मस्तिष्क को आराम मिलता है और इसकी क्षमता भी बढ़ती है। इसलिए ध्यान के जरिए दिमाग को सशक्त बनाने की दिशा में अब कई कम्पनियां भी आगे आ रही हैं। जानकारों के मुताबिक टार्गेट, गूगल, जनरल मिल्स एवं फोर्ड जैसी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को “माइंडफुलनेस” का प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है।
एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स “माइंडफुलनेस मेडिटेशन” करते थे, जिससे उनका दिमाग शांत रहता था।
मन को दो भागों में बांटा गया है।एक मंकी माइंडऔर ऑक्स माइंड।
“मंकी माइंड” (विचारों की भीड़ से भरा बंदर की तरह उछल-कूद मचाने वाला मन) और “ऑक्स माइंड” (शांति से धीरे-धीरे बैल की तरह चलने वाला मन)। इस ध्यान विधि में “मंकी माइंड” को धीरे-धीरे नियंत्रित कर “ऑक्स माइंड” को जगाने का प्रयास किया जाता है। माइंडफुलनेस के कई फायदे हैं- जैसे तनाव समाप्त हो जाता है। यदि वापस भी आए तो कम असरदार होता है और आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।
नींद न आने की समस्या भी इसके नियमित अभ्यास से ठीक हो जाती है। कई अभ्यासी तो आंख बंद करने के बाद महज एक-दो पल में ही नींद के आगोश में आ जाते हैं। इसके अभ्यास से जीवन की हर घटना के प्रति नजरिया स्पष्ट और रचनात्मक हो जाता है।
जरूरत के हिसाब से दिमाग का प्रयोग
“यदि आप शांति से बैठकर खुद के बारे में विचार करेंगे तो पाएंगे कि आपका दिमाग कि तना अशांत है और इसे शांत करने का प्रयास करेंगे तो यह और बिगड़ जाएगा। लेकिन कुछ समय बाद जब यह शांत हो जाएगा तो आपको और रहस्यमयी चीजें सुनाई देंगी।”
यह है विधि
किसी शांत जगह पर जाकर –
1. पालथी लगाकर बैठें। पतले तकिए पर बैठ सकते हैं इससे कमर में खिंचाव नहीं आएगा।
2. आंखें बंद करके अपने भीतर की आवाजों को सुनें। इस दौरान जो भी विचार चल रहे हों चाहे वे टीवी प्रोग्राम के होें, काम-काज या परिवार के हों उन्हें चलने दें। यही उछल-कूद मचाने वाले दिमाग की स्थिति है जो लगातार शोर करता है। यह “रेस्टलेस” स्थिति है लेकिन फिलहाल इसे रोके नहीं। विचारों पर ध्यान लगाएं और यह समझने का प्रयास करें कि कैसे एक विचार से दूसरा तेजी से आता-जाता है। करीब एक हफ्ते तक रोजाना पांच मिनट यह अभ्यास करें।
3. एक सप्ताह बाद विचारों को नियंत्रित करने का प्रयास किए बिना ध्यान के दौरान यह कोशिश करें कि आपके विचार “मंकी माइंड” से “ऑक्स माइंड” की ओर जाने लगें।
4. ऑक्स माइंड वह स्थिति है जिसमें अपेक्षाकृत धीमे और शांत विचार आते हैं। यह दिमाग सभी चीजों को देखता, सुनता और महसूस करता है। ज्यादातर लोग अपने ऑक्स माइंड को तभी सुनते हैं जब वे असाधारण क्षणों का अनुभव कर रहे हों।
5. कुछ दिनों या सप्ताह के अभ्यास के बाद जब ऑक्स माइंड के प्रति आपकी पकड़ बढ़ने लगे तो इसे अपने मंकी माइंड को धीमा करने के निर्देश देना शुरू कीजिए। कुछ लोग मंकी माइंड के सोने के बारे में सोचकर भी इसे नियंत्रण करते हैं। लेकिन यदि मंकी माइंड फिर भी जाग्रत रहता है तो परेशान न हों। कुछ समय बाद मंकी माइंड कम शोर करेगा। धीरे-धीरे आपको महसूस होगा कि आपकी हर सांस लंबी होती जा रही है। आपको हवा का स्पर्श महसूस होने लगेगा। इस स्थिति तक पहुंचने में समय लगता है, लेकिन यदि आपको यह लगने लगे कि अब समय थमने लगा है तो मानिए कि आप सही तरीके से अभ्यास कर रहे हैं।
इसके नियमित अभ्यास से तनाव को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा अनिद्रा और कई अन्य बीमारियां भी इससे ठीक हो जाती हैं। टार्गेट, गूगल, जनरल मोटर जैसी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को माइंड फुलनेस का प्रशिक्षण देती है।
आपके पास जो अवसर है लॉक डॉउन का, उसका प्रयोग करके आप ” स्थितिप्रज्ञ ” को प्राप्त कर सकते है।
माइंडफुलनेस के फायदे
यह निष्क्रियता से सक्रियता पर ले जाता है।
1. तनाव से मुक्ति, कार्य मे चुस्ती
2. याद करने के शक्ति में इजाफा
3. एकाग्रता का बढ़ना, नई खोज के लिए सक्रिय
4. भावनात्मक स्टैबिलिटी होना
5. शांति और खुशी का अहसास बढ़ना
6. हाइपर-ऐक्टिविटी कम होना
7. गुस्सा कम आना
8. एक-दूसरे को समझने की क्षमता बढ़ना
9. फैसले लेने की क्षमता में इजाफा
10. नींद का बेहतर बनाता है।
प्रोफ. डॉ. दिनेश गुप्ता- आनंदश्री
लेखक स्वयं माइन्डफुलनेस के ज्ञाता एवं प्रशिक्षक है।