Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Dec 2020 · 1 min read

लेखनी

लाज नारी की बचाती लेखनी
दर्द की गाथा सुनाती लेखनी

खींचता है जब दुशासन वस्त्र को
द्रौपदी का पट बढाती लेखनी

संस्कारों के जले पुतले जहाँ
नर युवाओ को थुकाती लेखनी

देश जाये जब पतन की राह पर
मार्ग रोड़ो को हटाती लेखनी

कब मिले फाँसी किये अपराध की
सत्य तथ्यों को छिपाती लेखनी

74 Likes · 1 Comment · 361 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from DR.MDHU TRIVEDI
View all
You may also like:
खुली किताब सी लगती हो
खुली किताब सी लगती हो
Jitendra Chhonkar
2858.*पूर्णिका*
2858.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
चलो जिंदगी का कारवां ले चलें
चलो जिंदगी का कारवां ले चलें
VINOD CHAUHAN
चार शेर मारे गए, दर्शक बने सियार।
चार शेर मारे गए, दर्शक बने सियार।
*प्रणय प्रभात*
Rakesh Yadav - Desert Fellow - निर्माण करना होगा
Rakesh Yadav - Desert Fellow - निर्माण करना होगा
Desert fellow Rakesh
"दूरी के माप"
Dr. Kishan tandon kranti
मात पिता का आदर करना
मात पिता का आदर करना
Dr Archana Gupta
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
हर मंदिर में दीप जलेगा
हर मंदिर में दीप जलेगा
Ansh
❤बिना मतलब के जो बात करते है
❤बिना मतलब के जो बात करते है
Satyaveer vaishnav
कितना भी आवश्यक या जरूरी काम हो
कितना भी आवश्यक या जरूरी काम हो
शेखर सिंह
स्मृतियाँ
स्मृतियाँ
Dr. Upasana Pandey
देखना ख़्वाब
देखना ख़्वाब
Dr fauzia Naseem shad
*मीठे बोल*
*मीठे बोल*
Poonam Matia
** अरमान से पहले **
** अरमान से पहले **
surenderpal vaidya
ये दिल उन्हें बद्दुआ कैसे दे दें,
ये दिल उन्हें बद्दुआ कैसे दे दें,
Taj Mohammad
प्रकृति के स्वरूप
प्रकृति के स्वरूप
डॉ० रोहित कौशिक
पर्वत को आसमान छूने के लिए
पर्वत को आसमान छूने के लिए
उमेश बैरवा
*अंतर्मन में राम जी, रहिए सदा विराज (कुंडलिया)*
*अंतर्मन में राम जी, रहिए सदा विराज (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
आगमन राम का सुनकर फिर से असुरों ने उत्पात किया।
आगमन राम का सुनकर फिर से असुरों ने उत्पात किया।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
तेरे दरबार आया हूँ
तेरे दरबार आया हूँ
Basant Bhagawan Roy
जिस तौर भी कट रही वो ज़िंदगी तेरे नाम पर
जिस तौर भी कट रही वो ज़िंदगी तेरे नाम पर
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अभी बाकी है
अभी बाकी है
Vandna Thakur
रक़ीबों के शहर में रक़ीब ही मिलते हैं ।
रक़ीबों के शहर में रक़ीब ही मिलते हैं ।
sushil sarna
कोई दरिया से गहरा है
कोई दरिया से गहरा है
कवि दीपक बवेजा
अगर आप आदमी हैं तो / (नईकविता)
अगर आप आदमी हैं तो / (नईकविता)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
आंधियों में गुलशन पे ,जुल्मतों का साया है ,
आंधियों में गुलशन पे ,जुल्मतों का साया है ,
Neelofar Khan
आँशुओ ने कहा अब इस तरह बहा जाय
आँशुओ ने कहा अब इस तरह बहा जाय
Rituraj shivem verma
शिवरात्रि
शिवरात्रि
Madhu Shah
सगीर गजल
सगीर गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
Loading...