लेखनी में आज तेरी धार होनी चाहिए
छंद: गीतिका
विधा: गीतिका
बह्र:२१२२ २१२२ २१२२ २१२
दिनांक-६/२/२०२१
लेखनी में आज तेरी धार होनी चाहिए।
मूक भाषा हो भले पर सार होनी चाहिए।
आइना हर पल दिखाना तुम सदा संसार को।
काव्य की शब्दावली अम्बार होनी चाहिए।
हों अनूठे शब्द व्यंजन भार को अतुलित लिए,
शब्द की अनुपम अनूठी मार होनी चाहिए।।
बात का हर पल हमेशा ख्याल रखना ऐ मनुज,
देश की ही बात बस हर बार होनी चाहिए।
आंख उनकी खोलनी है अब अटल तुझको महज,
राज्य से भी बात अब दो चार होनी चाहिए।
?अटल मुरादाबादी ?