Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Nov 2019 · 1 min read

लुप्त वनों और प्रकृति के लिए एक कविता

लुप्त वनों और प्रकृति के लिए एक कविता

काश कि ऎसी रेल गाड़ी होती
पेड़- पौधों के बीच, वो चलती
मैं खिड़की वाली, सीट पे होता
जब वो सीटी देकर, चल पड़ती।
.
रेल गाड़ी जब, अपने सफर पर
धीरे-धीरे चल फिर आगे बढ़ती
कभी मैं छु पाता, कुछ पेड़ों को
कभी कोई पत्ती, मुझको छूती।
.
पेड़ों की डाली पर, बैठी चिड़िया
मुझसे अपनी, मीठी बोली में कहती
देखो तुम्हारा, है ये सफर सुहाना
पर इसमें, कहीं तुम खो मत जाना.
.
यहां मिलेगा, हर एक पग में तुम्हें
प्रकृति की सुंदरता का, अनमोल खजाना
पर इसे देख कर, लालच मत करना
कि लूटलो, इसे भी, जो है अबतक अनछुवा
इंसानों की लालची, नज़रों से बचा हुआ
धरती का ये मुक्त, अनमोल खजाना।
Ravindra K Kapoor
26th Nov. 2019

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 336 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravindra K Kapoor
View all
You may also like:
काकाको यक्ष प्रश्न ( #नेपाली_भाषा)
काकाको यक्ष प्रश्न ( #नेपाली_भाषा)
NEWS AROUND (SAPTARI,PHAKIRA, NEPAL)
हम सम्भल कर चलते रहे
हम सम्भल कर चलते रहे
VINOD CHAUHAN
3734.💐 *पूर्णिका* 💐
3734.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
"पूनम का चांद"
Ekta chitrangini
डॉ अरूण कुमार शास्त्री एक  अबोध बालक 😂😂😂
डॉ अरूण कुमार शास्त्री एक अबोध बालक 😂😂😂
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ज़िंदगी यूँ तो बड़े आज़ार में है,
ज़िंदगी यूँ तो बड़े आज़ार में है,
Kalamkash
" रे, पंछी पिंजड़ा में पछताए "
Chunnu Lal Gupta
मज़बूत होने में
मज़बूत होने में
Ranjeet kumar patre
🙏 *गुरु चरणों की धूल*🙏
🙏 *गुरु चरणों की धूल*🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
अश्रु (नील पदम् के दोहे)
अश्रु (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
बाल कविता: हाथी की दावत
बाल कविता: हाथी की दावत
Rajesh Kumar Arjun
चाहे मेरे भविष्य मे वह मेरा हमसफ़र न हो
चाहे मेरे भविष्य मे वह मेरा हमसफ़र न हो
शेखर सिंह
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
जिसे चाहा था खुद से भी जादा उसी को पा ना सका ।
जिसे चाहा था खुद से भी जादा उसी को पा ना सका ।
Nitesh Chauhan
समय-समय पर कई तरह के त्योहार आते हैं,
समय-समय पर कई तरह के त्योहार आते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
वक्त लगता है
वक्त लगता है
Vandna Thakur
एक नम्बर सबके फोन में ऐसा होता है
एक नम्बर सबके फोन में ऐसा होता है
Rekha khichi
" घर "
Dr. Kishan tandon kranti
#जालसाज़ों_की_दुनिया_में 😢😢
#जालसाज़ों_की_दुनिया_में 😢😢
*प्रणय*
भारत हमारा
भारत हमारा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
जिंदगी जिंदादिली का नाम है
जिंदगी जिंदादिली का नाम है
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
मौर ढलल
मौर ढलल
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
सौदागर हूँ
सौदागर हूँ
Satish Srijan
मैं भारत हूँ
मैं भारत हूँ
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
पारिवारिक मूल्यों को ताख पर रखकर आप कैसे एक स्वस्थ्य समाज और
पारिवारिक मूल्यों को ताख पर रखकर आप कैसे एक स्वस्थ्य समाज और
Sanjay ' शून्य'
रिश्ते फीके हो गए
रिश्ते फीके हो गए
पूर्वार्थ
विषय:गुलाब
विषय:गुलाब
Harminder Kaur
*दादा जी (बाल कविता)*
*दादा जी (बाल कविता)*
Ravi Prakash
स्वयं को सुधारें
स्वयं को सुधारें
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
जश्ने आज़ादी का
जश्ने आज़ादी का
Dr fauzia Naseem shad
Loading...