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16 Nov 2018 · 1 min read

लुटे गुलशन में तुम आए

लुटे गुलशन में तुम आए
चमन में बहार बन छाए।

कहीं था कोई न सहारा,
तुम खेवनहार कहलाए।

रहे जो बन्द अधर मेरे,
कली सी खिल के छितराए।

तुम्हें मैं देख लिया करती,
नहीं मन मेरा घबराए।

हँसी बन रात गए मेरी,
तुम्हीं से विभात मुस्काए।

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