” लिहाज “
” लिहाज ”
तुझे चाहा बेतहाशा जहनसीब
तो दुनिया को क्यूँ ऐतराज है,
दुश्मनों की परवाह करते नहीं
सिर्फ अपनों का लिहाज है।
” लिहाज ”
तुझे चाहा बेतहाशा जहनसीब
तो दुनिया को क्यूँ ऐतराज है,
दुश्मनों की परवाह करते नहीं
सिर्फ अपनों का लिहाज है।