लिव-इन रिलेशनशिप
(1)
मात-पिता को त्याग कर,खुद हो गई अनाथ।
सोचे समझे ही बिना,चल दी प्रेमी साथ।
बड़ा भयानक भेड़िया,प्रेमी निकला दुष्ट।
नित-दिन तन-मन नोचता,और उठाता हाथ।।
(2)
मन के अंदर था भरा, कुंठा और विकार।
थी शिक्षा में कुछ कमी,भूल गई संस्कार।।
सरल सुता माँ बाप की,कठपुतली उस हाथ।
समझ न पाई दुष्ट को,किया नहीं इन्कार।।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली