Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Apr 2023 · 1 min read

लिव-इन रिलेशनशिप

(1)
मात-पिता को त्याग कर,खुद हो गई अनाथ।
सोचे समझे ही बिना,चल दी प्रेमी साथ।
बड़ा भयानक भेड़िया,प्रेमी निकला दुष्ट।
नित-दिन तन-मन नोचता,और उठाता हाथ।।
(2)
मन के अंदर था भरा, कुंठा और विकार।
थी शिक्षा में कुछ कमी,भूल गई संस्कार।।
सरल सुता माँ बाप की,कठपुतली उस हाथ।
समझ न पाई दुष्ट को,किया नहीं इन्कार।।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली

1 Like · 2 Comments · 212 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all
You may also like:
पाती पढ़कर मीत की,
पाती पढ़कर मीत की,
sushil sarna
बे-असर
बे-असर
Sameer Kaul Sagar
कभी मज़बूरियों से हार दिल कमज़ोर मत करना
कभी मज़बूरियों से हार दिल कमज़ोर मत करना
आर.एस. 'प्रीतम'
संतुष्टि
संतुष्टि
Dr. Rajeev Jain
मरना बेहतर जीना अब आसान नहीं।
मरना बेहतर जीना अब आसान नहीं।
सत्य कुमार प्रेमी
कार्तिक पूर्णिमा  की शाम भगवान शिव की पावन नगरी काशी  की दिव
कार्तिक पूर्णिमा की शाम भगवान शिव की पावन नगरी काशी की दिव
Shashi kala vyas
चारु
चारु
NEW UPDATE
कुछ...
कुछ...
Naushaba Suriya
🚩पिता
🚩पिता
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
"किसान का दर्द"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
ज्ञान तो बहुत लिखा है किताबों में
ज्ञान तो बहुत लिखा है किताबों में
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
यादें
यादें
Dipak Kumar "Girja"
बहुत अरमान लिए अब तलक मैं बस यूँ ही जिया
बहुत अरमान लिए अब तलक मैं बस यूँ ही जिया
VINOD CHAUHAN
तुम हकीकत में वहीं हो जैसी तुम्हारी सोच है।
तुम हकीकत में वहीं हो जैसी तुम्हारी सोच है।
Rj Anand Prajapati
सब ठीक है
सब ठीक है
पूर्वार्थ
भरे हृदय में पीर
भरे हृदय में पीर
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
वो मेरी पाज़ेब की झंकार से बीमार है
वो मेरी पाज़ेब की झंकार से बीमार है
Meenakshi Masoom
मेरी ज़िंदगी की हर खुली क़िताब पर वो रंग भर देता है,
मेरी ज़िंदगी की हर खुली क़िताब पर वो रंग भर देता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
रामपुर में काका हाथरसी नाइट
रामपुर में काका हाथरसी नाइट
Ravi Prakash
ਅੱਜ ਕੱਲ੍ਹ
ਅੱਜ ਕੱਲ੍ਹ
Munish Bhatia
"रस्सी"
Dr. Kishan tandon kranti
നീപോയതിൽ-
നീപോയതിൽ-
Heera S
सामाजिक बहिष्कार हो
सामाजिक बहिष्कार हो
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
3342.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3342.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
दशमेश पिता, गोविंद गुरु
दशमेश पिता, गोविंद गुरु
Satish Srijan
भावनाओं की किसे पड़ी है
भावनाओं की किसे पड़ी है
Vaishaligoel
बड़ी-बड़ी उपमाएं ,
बड़ी-बड़ी उपमाएं ,
TAMANNA BILASPURI
जागी आँखें गवाही दे देंगी,
जागी आँखें गवाही दे देंगी,
Dr fauzia Naseem shad
--: पत्थर  :--
--: पत्थर :--
Dhirendra Singh
माना कि मेरे इस कारवें के साथ कोई भीड़ नहीं है |
माना कि मेरे इस कारवें के साथ कोई भीड़ नहीं है |
Jitendra kumar
Loading...