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2 Mar 2017 · 1 min read

लिपट जाएं !

आएं आगोश में और बाहों में सिमट जाएं,
सुबह की रौशनी जैसे अँधेरे पर लिपट जाएं,

मुद्दतों बाद वो हों रूबरू हमसे,
और आते ही हमसे चिपट जाएं,

मुहब्बतों में फिसलते देर नहीं लगती,
अब के बरस कहीं हम भी ना रपट जाएं,

शोखियाँ सिर चढ़ के बोलती हैं बहारों में,
मुस्करा के यूँ देखोगे तो मौसम ही पट जाएं,

है खबर की हज़ूर काम टाला नहीं करते,
फिर क्यों ना आज ‘दक्ष’ से निपट जाएं,

-विकास शर्मा ‘दक्ष’-

1 Like · 1 Comment · 270 Views
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