लिख तो दूँ दर्द सारे सितम सारे …
लिख तो दूँ दर्द सारे सितम सारे
काग़ज़ कलम बोझ ना उठा पाएँगे
धड़क रहा है जो सिने में मोहब्बत को ज़िंदा किए
धड़कनों का हिसाब कैसे हम चुकाएँगे
मख़मली चादर सी होंगी तेरे लिए उसकी बाँहें
मेरे सिने की कँटीली बिस्तर तुम्हें याद आएँगे
अर्थ तो सभी को प्यारा है जगत में
अर्थ के आगे हम मोहब्बत का ठुकराएँगे
जा रही हो किसी और के घर की शोभा बनकर
हम अपने दिल के आँगन में तुझको सजाएँगे
पहुँच ना सके कोई वहाँ तक सदियों बाद भी
हम तुमसे ऐसी मोहब्बत निभाएँगे
बरस रही है नैन चुपचाप है अधर बेचैन है धड़कन
तुम हो हमारे ही पास ये इनको समझाएँगे
खो गए हो तुम दुनियाँ की जगमगाहट में
हम अकेले ही सारा बोझ उठाएँगे
आख़िरी में बस यही कहूँगा तुमसे प्रिय
जो भी मिलेगा हमें तुमसे स्वीकार हम कर जाएँगे
लिख तो दूँ दर्द सारे सितम सारे मगर
काग़ज़ कलम बोझ ना उठा पाएँगे।