लिखूं कविता
लिखूं कविता
तेरे श्यामल श्यामल कोमल कोमल बालों पे
छटा बिखेरती मंद मंद मुस्कानों पे,
हेमलता की कानो में लटकती झूलों पे,
मोती सी झर रही
हंसी की फुहारों पे,
लिखूं कविता तुम्हारी
मदमस्त अदाओं पे
तेरे मीठी बातों पे
झील सी आंखों पे
रस टपकती होटों पे
मर मर के जी रहे घायलों पे
लिखूं कविता,…..
तेरे गोरे गोरे गालों पे
सुकून भरी बाहों में
सुहानी रातों पे
जिंदगी के राहों में
हम दोनो के संगम पे
लिखूं कविता….
दहकती जवानी पे
महकती दीवानगी पे
संगमरमर सा बदन में
तिल के निशानों पे
तराशा गया है तुझे उन हुक्मरानो पे
लिखूं कविता….
हमारी प्रेमालाप पे
शिकायती पत्र वार पे
सजते प्रेम के पौधे जार पे
सरपट दौड़ती कार पे
लिखूं कविता
ये सभी गुनहगार पे।
खुशियों के बौछार पे।
रचनाकार
संतोष कुमार मिरी
छत्तीसगढ़