लिखावट – डी के निवातिया
१ २ २ / १ २ २ / १ २ २ / १ २ २
पढ़ा जो उसे तो ये जाना कसम से,
लिखावट में दम है खुदा के करम से !
बहुत खूब उसकी है लफ्ज़-ऐ-बयानी
झरे शाख से फूल जैसे नरम से !!
!
डी के निवातिया
१ २ २ / १ २ २ / १ २ २ / १ २ २
पढ़ा जो उसे तो ये जाना कसम से,
लिखावट में दम है खुदा के करम से !
बहुत खूब उसकी है लफ्ज़-ऐ-बयानी
झरे शाख से फूल जैसे नरम से !!
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डी के निवातिया