लिखना
“लिखना”
लिखता नहीं कि कुछ पा सकूं
लिखता नहीं कि कुछ नाम कमा सकूं
लिखता नहीं कि लोग प्रशंसा करे मेरी
लिखता हूं क्योंकि बहुत बोलने के बाद भी
बहुत अंतर्मुखी हूं मैं
इतनी आसानी से
अपनी भावनाएं नहीं कह पाता मैं
लिखता हूं क्योंकि जो नहीं कह पाता
लिखने से वो भी कह जाता हूं मैं
लिखता हूं क्योंकि लिखना
सुकून जैसा है मेरे लिए
लिखता हूं क्योंकि अपनी ही भावनाओं को
सरल से शब्दों में पिरो सकूं
लिखना कुछ – कुछ
अरस्तू के विरेचन सिद्धांत की तरह
काम करता है मुझ पर
लिखने के साथ ही मुक्त हो जाता हूं
जैसे एक भारी और उदास मन से
और महसूस करने लगता हूं सहज व सरल
…..