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22 Jan 2020 · 1 min read

लिखते रहेंगे कुछ न कुछ

लिखते रहेंगे यूँ ही चंद अलफ़ाज़
साँसों में हैं जब तक तेरा साज

बदल गए हैं दिल के सुर-ताल
आ जाओ बनकर फिर एक ख्वाब

तुम बिन,कब तक बहेगी दिल में स्याही
हर पल करता हैं,तुमको याद

कठोर इतने भी न बनो कि “प्रीत ”
मिट जाएगी एकदिन ये तेरी “मीत”

रेखा”कमलेश ”
होशंगाबाद मप्र

3 Likes · 2 Comments · 372 Views
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