लिखते रहेंगे कुछ न कुछ
लिखते रहेंगे यूँ ही चंद अलफ़ाज़
साँसों में हैं जब तक तेरा साज
बदल गए हैं दिल के सुर-ताल
आ जाओ बनकर फिर एक ख्वाब
तुम बिन,कब तक बहेगी दिल में स्याही
हर पल करता हैं,तुमको याद
कठोर इतने भी न बनो कि “प्रीत ”
मिट जाएगी एकदिन ये तेरी “मीत”
रेखा”कमलेश ”
होशंगाबाद मप्र