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22 Nov 2021 · 1 min read

लिखता हूं जो।

लिखता हूं जो गजल उसका तसव्वुर हो तुम |
तुम्हें क्या पता किस तरह खूबसूरत हो तुम ||1||

मेरे सिवा जहां में ना चाहे तुम्हें कोई और |
मेरी चाहत की पाकीजा मोहब्बत हो तुम ||2||

शुक्र है खुदा का जिसने भेजा जमीं पर तुम्हें |
सिद्दतो से की है जो मैंने वह इबादत हो तुम ||3||

करते हैं ऐहतराम तेरा खुदा के बाद जहां में |
देखे हर सिर झुक जाए ऐसी शराफत हो तुम ||4||

जिंदगी जीने के लिए दौलत तो कमाता हूं मैं |
खुदा जानता है मेरी असली तिजारत हो तुम ||5||

उफ ये सादगी तुम्हारी कातिल ना बन जाये |
बड़ी ही खूबसूरत हुस्न की कयामत हो तुम ||6||

ताज मोहम्मद
लखनऊ

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