लिखता रहा मिटाता रहा
लिखता रहा मिटाता रहा,
मन में ही गुनगुनाता रहा।
कह न पाया बात दिल की,
बस सोंच ये पछताता रहा।
दिल की बात जुबां तक न आयी,
बस ख्याल दिल में आता रहा।
घबराहट थी कुछ ऐसी मन में,
जो उनसे नजरे चुराता रहा।
बड़ी मुश्किल से जुटा हिम्मत,
जो लिखा बात दिल की।
कागज पर लिखे वो नग्मे,
बना कश्ती पानी में बहता रहा।
लिखता रहा मिटाता रहा,
मन में ही गुनगुनाता रहा।