लिंकन के पत्र का काव्यरूपांतरण
सब जन जग मे न्यायी नहीं हैं और नही सब सच्चे होते।
किन्तु उसे है यह सिखलाना मार्ग सत्य का है दिखलाना।
दुष्टों के प्रतिरोध की ख़ातिर कुछ शूरों ने जीवन धारा।
यदि कुशल है राजनीतिज्ञ नेता समर्पित है बहुतेरे।
आप उसे यह बोध कराएं शत्रु है तो मित्र बहुतेरे।
मित्रों का विश्वास सिखाएं।
मेहनत करके कुछ धन पाना पाये दबे घट रत्न से बेहतर।
स्वीकारे यदि मिले पराजय जीत का आनन्द ले खुश होकर।
दूर द्वेष से तुम ले जाना चमत्कार पुस्तक का सिखाना
धोखा देने की तुलना में असफ़ल हो जाना है बेहतर।
अपने मत पर दृढ़ होकर खुद रहो अडिग चट्टान की भांति चाहे गलत तुमको जग जाने किन्तु रहो संतुष्ट स्वयं से।
जो जैसा व्यहवहार करे जन उसको वैसा ही तुम देना।
संकट मे भी धैर्य सिखाना नम आँखों से न शर्माना।
मौकापरस्तों को मुँह न लगाना अति मधुरता है दुखदाई सावधान रहना सिखलाना।
बुद्धिमता से धन तो कमाना किन्तु कभी विश्वास आत्मा आदर्शों के न दाम लगाना
शोर नहीं वेदमन्त्र सुने वो उग्र नहीं संस्कारी बनाना।
धैर्य रखें संघर्ष करें वो गलत सही का भेद सिखाना।
बहुत बड़ी है मेरी अपेक्षा रेखा जो कुछ हो सिखलाना।