लाल साड़ी
नज़रें न हट रही इक पल को भी मेरी बड़ी कमाल की तुम्हारी लाल साड़ी
मैं तो अब जा कर मरा मुझसे पहले न जाने कितने दिलों की ये क़ातिल साड़ी
ये मुझको होश-ओ-हवास नींद चेन भूख प्यास लगे भी तो अब कैसे लगे बताओ
उलटे पल्लू में कर रही मेरे दिल को काबू दूर से ही तुम्हारी मराल साड़ी
यूँ तो वाक़िफ़ रहा हर जानलेवा अदा से मैं तुम्हारे फिर भी ज़रा सी चूक हो गई
अब कहीं गुस्ताख़ी न हो जाए उफ़ मत डालो मिरे फेस पे जमाल साड़ी
कहते भी ना बने अशआर और ना कहते हुए दिल जोड़ जोड़ से धकेले साँसो को
यार ज़ुल्फ ए परेशान में गिरा कर यूँ तुम्हारा पहनना बना मेरे जी का ये जंजाल साड़ी
किस्मत में बिगड़ना लिखा न था म’गर फिर भी बिगड़ ही गए यूँ आते आते
हाँ बहर ए हाल अव्वल रहे मुझे बर्बाद करने में तुम्हारे होंठ, गाल, ओ, बाल, साड़ी
@कुनु