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30 Jan 2024 · 1 min read

*लाल सरहद* ( 13 of 25 )

लाल सरहद

लोग कितने भी शहीद हो जायें ,
लाल सरहद का क्या बिगड़ता है …

रात पूनम के चांदनी महंगी ,
वैसे हर रोज भाव गिरता है ….

झील सूखे या बाड़ आ जाये ,
रोके सावन कहाँ ठहरता है…

साथ रोशनी का देने को ,
दिन कभी कहाँ बढ़ता है …..

खिलती कलियां सूख जाती हैं ,
मौसमों को कहाँ अखरता है …

ओस के सूख जाने पर ,
कहाँ गुलों को फर्क पड़ता है ….

रात बेफिक्र सदा रहती है ,
दिया ही अंधेरो से लड़ता है …

यही चलन है मोहब्बत का ,
जब कहर एक तरफ पड़ता है ..

क्षमा उर्मिला

2 Likes · 155 Views
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