*लाल सरहद* ( 13 of 25 )
लाल सरहद
लोग कितने भी शहीद हो जायें ,
लाल सरहद का क्या बिगड़ता है …
रात पूनम के चांदनी महंगी ,
वैसे हर रोज भाव गिरता है ….
झील सूखे या बाड़ आ जाये ,
रोके सावन कहाँ ठहरता है…
साथ रोशनी का देने को ,
दिन कभी कहाँ बढ़ता है …..
खिलती कलियां सूख जाती हैं ,
मौसमों को कहाँ अखरता है …
ओस के सूख जाने पर ,
कहाँ गुलों को फर्क पड़ता है ….
रात बेफिक्र सदा रहती है ,
दिया ही अंधेरो से लड़ता है …
यही चलन है मोहब्बत का ,
जब कहर एक तरफ पड़ता है ..
क्षमा उर्मिला