“लाल गुलाब”
“लाल गुलाब”
तब क्या लाल गुलाब
तुम भेंट कर पाओगे-
मांशल काया
जब अपना स्थान छोड़ेगी,
यौवन की खुशबू
जब अपना मुँह मोड़ेगी।
कंचन बदन
जब सूखा तट होगा,
झुर्रियों का
जब तन पर पट होगा।
“लाल गुलाब”
तब क्या लाल गुलाब
तुम भेंट कर पाओगे-
मांशल काया
जब अपना स्थान छोड़ेगी,
यौवन की खुशबू
जब अपना मुँह मोड़ेगी।
कंचन बदन
जब सूखा तट होगा,
झुर्रियों का
जब तन पर पट होगा।