#लाल किताब का चमत्कार
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{सत्य घटना पर आधारित लघु-कथा}
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★ #लाल किताब का चमत्कार ★
पांडे जी की घरवाली पड़ोसी के साथ भाग गई। थाना-पुलिस से निपटकर पांडे जी ज्योतिषियों-तांत्रिकों के यहाँ होते हुए एक ऐसे ज्योतिषी के यहाँ पहुँचे जो किसी समय उनके यहाँ नौकरी किया करते थे।
ज्योतिषी महोदय सज्जन व्यक्ति थे। उन्होंने पांडे जी की व्यथा-कथा सुनने के बाद चाय-नाश्ता कराया। दोपहर का भोजन और सायंकाल की चाय भी पांडे जी की वहीं हुई।
अगले दिन पांडे जी सुबह-सवेरे ही वहाँ पहुंच गए।
इसके बाद उन्होंने कारोबार बेटे को सौंप दिया। और, पूरा दिन वहीं बिताने लगे। समय बीतता गया।
एक दिन पांडे जी की घरवाली लौट आई।
अब पांडे जी ने ज्योतिष-कार्यालय खोल लिया। अपने पास आने वाले लोगों को वे बताने लगे, “आठ किलो उड़द दान करें”, “ग्यारह किलो गेहूं दान करें”, “पांच किलो चावल दान करें” आदि-आदि।
लोग पूछते कहाँ दान करें?
पांडे जी कहते किसी ब्राह्मण को दान करें। और यह बताना न भूलते कि मैं भी ब्राह्मण हूँ।
अब पांडे जी ने अपने बेटे को किराना की दुकान खुलवा दी।
उस घटना के चालीस वर्ष के उपरांत, आज नगर लुधियाना की हर दूसरी-तीसरी गली में एक-न-एक ‘लाल किताब’ का ज्योतिषी बैठा है। और, बहुतों के पीछे ऐसी ही कोई-न-कोई कहानी है।
#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२