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20 Oct 2021 · 2 min read

लालटेन

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जन्म के पहले रौशनी
अंधेरा था।
अंधेरे में भटकता हुआ स्यात्।
जलने के लिए न सामग्री थी
न तेल।
किन्तु,अंधेरा,रौशनी को जन्म देने की प्रक्रिया से
भिज्ञ था।
उसने शव सा पड़े शिव को उकसाया।
पर्वत सा निश्चल पड़े पर्वतेश्वरी को जगाया।
एक से दूसरे को टकराया
और उनके अंश को
रौशनी बनाकर चमकाया।

रौशनी जन्म दे जो
उस मातृवत लालटेन को नमन।
लालटेन जले,जलने का,उसका दर्द
प्रसव का दर्द है,
उस दर्द को नमन।

अंधेरे का उजाला
जन्म लेते ही बना मेरा पिता।
जलता हुआ रहा
मेरे विद्वान होने तक।
मेरी मूर्खता का निदान होने तक।

लालटेन था सो दौड़ता रहा अंधेरे में।
अपनी ललक और अपना लक्ष्य उकेरने में।
दिन समर्पित है जीविका को।
भूख से जन्म लेती विभीषिका को।

अंधकार में सिसकती आवाजें।
लालटेन ने ही ढूँढा था क्या कहें!
बलात्कार से भीगी रातों के दर्द और आहें।
लालटेन ने ही हराया था,फैलाकर बाँहें।

उतना जला लालटेन जितना, ‘जीतना’ था।
उतना रहा स्थिर लालटेन,तूफान जितना कमीना था।

लालटेन के देह ने सहा हर जलन।
लालटेन की आत्मा हर तरह का निर्वसन।
स्नेह की हर बूंद ने आग में
किया आहूत अपना बदन।
उत्सर्जित करती हुई रश्मियां,
हर तम का हनन।

मुझे रौशनी पहुँचाने हेतु जलने के पूर्व
कितना कठोर किया होगा अपना मन।
कम है हे लालटेन, तुम्हें जितना भी करें
हम नमन।
लालटेन हमारे मुट्ठी भर अंधेरे का सूर्य है।
यही मुट्ठी भर अंधेरा हमारे जीवन को
हराता हुआ दुर्ग है।
लालटेन हमारा अस्त्र-शस्त्र,औज़ार,हथियार।
लालटेन रहा है हमारा मित्र,सहचर,सखा,सरोकार।
रात के अंधेरे में।
हमारे जीवन को दिन बनाने में।
हे लालटेन,तुम्हें नमस्कार है।
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Language: Hindi
303 Views
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